आज हम अधिवक्ता दीपिका करनाणी से पब्लिक बाधा के बारे में जानेंगे।

पब्लिक न्यूसेंस/बाधा होती क्या है?
- कोई सार्वजनिक स्थान या मार्ग जो आम जनता द्वारा अधिकार स्वरूप उपयोग में लिया जा रहा है और उसमें विधि के विरुद्ध जाकर किसी व्यक्ति द्वारा बाधा उत्पन्न कर दी जाए। जैसे गढ्ढे खोदकर रास्ता बंद करना, बाड़ या दीवार से रास्ता बंद करना या रास्ते पर कब्जा करके संकुचित करना।
- ऐसा व्यापार, जो मानव जीवन और शारीरिक सुख के लिए हानिकारक हो। जैसे ऐसी कोई फैक्ट्री लगाना जिससे हानिकारक गैस या पदार्थ मानव जीवन को संकट में डालने वाले हो।
- ऐसा कोई भवन/संरचना या वृक्ष जिसके गिर जाने की संभावना हो और उसके कारण वहां से गुजरने वालों/ पड़ोस में रहने वालों/ कारोबार करने वालों को हानि हो सकती हो।
- किसी भयानक जीव- जंतु द्वारा आमजन को हानि पहुंचने की आशंका हो।
- इन पब्लिक बाधाओं से निजात पाने के लिए भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता की धारा 152 में प्रावधान है।
प्रावधान कौनसे हैं? - व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह उपरोक्त प्रकार से पब्लिक न्यूसेंस करता है तो पीड़ित पक्ष जिला/उपखण्ड/ कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकता है। संबंधित मजिस्ट्रेट उस प्रार्थना पत्र पर अप्रार्थी के विरुद्ध एक सशर्त आदेश दे सकता है कि अप्रार्थी तुरंत उस पब्लिक न्यूसेंस को हटाए। व्यक्ति अगर इसके बाद भी पब्लिक न्यूसेंस नहीं हटाता है तो न्यायालय दोनों पक्षों की सुनवाई करके मामले का निस्तारण कर देता है। अंतिम आदेश भी पारित कर देता है। अप्रार्थी द्वारा आदेश की अवहेलना पर उसे कारावास/जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
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