अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने आदर्श विद्या मंदिर में किया सादगीपूर्ण आयोजन, बेटी पर कविता सुन भावुक हुआ पांडाल
NEXT 1 अगस्त, 2025 श्रीडूंगरगढ़। अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, इकाई श्रीडूंगरगढ़ द्वारा श्रावण शुक्ल सप्तमी के पावन अवसर पर गोस्वामी तुलसीदास जयंती का सादगीपूर्ण आयोजन गुरुधवार शाम को आदर्श विद्या मंदिर प्रांगण में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत माँ शारदा के समक्ष दीप प्रज्वलन और सेवा कुंज की बहनों द्वारा दीप मंत्रोच्चारण के साथ हुई। इकाई अध्यक्ष भगवती पारीक ‘मनु’ ने सभी साहित्यप्रेमियों, शिक्षकों व आमंत्रित अतिथियों का स्वागत करते हुए आयोजन की महत्ता पर प्रकाश डाला।

मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित रविन्द्र उपाध्याय ने गोस्वामी तुलसीदास के जीवन, संघर्ष और आध्यात्मिक उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बाल्यावस्था से ही अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए तुलसीदास ने संपूर्ण मानवता को भक्ति और श्रद्धा का संदेश दिया। उनकी रचनाएं रामचरितमानस और हनुमान चालीसा न केवल साहित्यिक दृष्टि से उत्कृष्ट हैं, बल्कि अध्यात्म और संस्कारों का गहन स्रोत भी हैं। उपाध्याय ने कहा कि तुलसीदास जी के समय के समकालीन विद्वानों ने भी उनकी विद्वता को नमन किया था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी सरोज पूनियां ‘वीर’ ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने कहा कि तुलसीदास जी की प्रत्येक चौपाई और दोहा आज भी सत्य, प्रामाणिकता और जीवन दर्शन की कसौटी पर खरा उतरता है। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि मानस को केवल पढ़ने तक सीमित न रखें, बल्कि उसे जीवन में उतारें। उन्होंने ऐसे साहित्यिक आयोजनों को नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बताते हुए मातृशक्ति से संस्कृति और संस्कारों के संरक्षण में भागीदारी निभाने का आह्वान किया।

समारोह में समाजसेवी दीपमाला डागा मंचासीन रहीं। इस अवसर पर अंबिका डागा, उभरते युवा कवि कमल कुमार और आसाराम पारीक ने भी अपने विचार रखे। राजस्थानी कवि एवं साहित्यकार छैलू चारण ‘छैल’ ने बेटी विषय पर एक अत्यंत मार्मिक कविता प्रस्तुत की, जिसने उपस्थित सभी श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। पांडाल में उपस्थित अनेक लोगों की आंखें नम दिखाई दीं।

कार्यक्रम में श्रीडूंगरगढ़ के अनेक प्रबुद्धजन, विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, बड़ी संख्या में शिक्षकगण, मातृशक्ति एवं सेवा धाम के भाई-बहन उपस्थित रहे। आयोजन में साहित्यिक दृष्टिकोण के साथ-साथ सांस्कृतिक चेतना का भी भाव देखने को मिला। कार्यक्रम के अंत में उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद को उनकी जयंती पर स्मरण किया गया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक एवं पाथेयकण के पूर्व संपादक स्वर्गीय माणकचंद को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
समारोह का संचालन इकाई संयोजक छैलू चारण ‘छैल’ ने आत्मीयता और प्रभावशाली शैली में किया।