रवि पुरोहित की कविताएं समय की धड़कन से करती हैं संवाद : डॉ. उमाकांत गुप्त
कविताएं समाज में मानवीय मूल्यों और रिश्तों की पुनर्स्थापना करती हैं : कमल रंगा
NEXT 6 अक्टूबर, 2025 श्रीडूंगरगढ़। प्रज्ञालय संस्थान और राजस्थानी युवा लेखक संघ की ओर से आयोजित साहित्यिक श्रृंखला ‘पुस्तकालोचन’ के तहत इस बार हिन्दी-राजस्थानी के वरिष्ठ कवि रवि पुरोहित के काव्य संग्रह ‘आग अभी शेष है’ पर विमर्श हुआ।
यह आयोजन नत्थूसर गेट के बाहर स्थित लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन में हुआ। कार्यक्रम में शहर के अनेक साहित्यकार, शायर और कवि मौजूद रहे।
कविताएं मानवीय राग और प्रकृति के प्रति लगाव जगाती हैं
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार और आलोचक कमल रंगा ने कहा कि रवि पुरोहित की कविताएं पाठकों में प्रकृति और मानवीय राग के प्रति गहरा लगाव उत्पन्न करती हैं। आज के जटिल समय में उनकी कविताएं मानवीय मूल्यों और रिश्तों की सशक्त अभिव्यक्ति बनकर सामने आती हैं। कवि अपनी सम्प्रेषणीयता से पाठकों से एक रागात्मक रिश्ता जोड़ते हैं।
कविताएं समय के सच को उद्घाटित करती हैं
मुख्य अतिथि वरिष्ठ आलोचक और शिक्षाविद् डॉ. उमाकांत गुप्त ने कहा कि रवि पुरोहित की कविताएं समय की धड़कन से संवाद करती हैं। वे अपने लेखन के माध्यम से पाठकों में प्रतिरोध की चेतना जगाते हैं। ‘पुस्तकालोचन’ कार्यक्रम आलोचना साहित्य पर ठोस मंथन का एक सशक्त मंच बनकर उभरा है। यह पुस्तक संस्कृति को समृद्ध करने की दिशा में सार्थक कदम है।
‘आग अभी शेष है’ प्रकृतिशील प्रेम कविताओं का संग्रह
मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकारा मोनिका गौड़ ने कहा कि ‘आग अभी शेष है’ संग्रह प्रकृतिशील प्रेम कविताओं का संकलन है, जो अपनी विशिष्टता के कारण समकालीन रचनाओं से अलग पहचान रखता है।
वरिष्ठ शायर कासिम बीकानेरी ने कहा कि कवि की कविताएं समाज, साहित्य, प्रेम और रिश्तों पर गहन अनुभूतियों की अभिव्यक्ति हैं।
वरिष्ठ कवि जुगल किशोर पुरोहित ने कहा कि इन कविताओं में वर्तमान समय की परिस्थितियों का यथार्थ चित्रण है।
कविता का अपना वास्तु और सलीका होता है
सभी विचारों का समाहार करते हुए कवि रवि पुरोहित ने कहा कि कविता की अपनी सर्जनात्मक प्रविधि और वास्तु होता है। भाव, भाषा, संवेदना, शिल्प, अर्थवत्ता, सामाजिक सरोकार, सलीका और कहन की तमीज मिलकर कविता के वास्तु का निर्माण करते हैं।
साहित्यकारों की रही सहभागिता
कार्यक्रम का स्वागत वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने किया। उन्होंने प्रज्ञालय संस्थान की साढ़े चार दशकों की साहित्यिक यात्रा को रेखांकित करते हुए कहा कि ‘पुस्तकालोचन’ पुस्तक संस्कृति को समृद्ध करने का अभिनव प्रयास है।
इस अवसर पर साहित्यकार बुलाकी शर्मा, राजेन्द्र जोशी, गिरिराज पारीक, सरोज शर्मा, गोविन्द जोशी, संगीता ओझा, गोपाल कुमार व्यास ‘कुण्ठित’, गुलजार बानो, महेन्द्र जोशी, कृष्णचंद पुरोहित, डॉ. अजय जोशी, राजेश रंगा, विप्लव व्यास, डॉ. फारूक चौहान, भवानी सिंह, अशोक शर्मा, तोलाराम सारण, घनश्याम ओझा, कार्तिक मोदी सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन कवि गिरिराज पारीक ने किया और आभार डॉ. फारूक चौहान ने व्यक्त किया।















