NEXT 21 फरवरी, 2025। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर मरूभूमि शोध संस्थान द्वारा शुक्रवार को “ग्यान गोठ” कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में “राजस्थानी भाषा रै सबदां री अंवेर अर परोटण रो आंटो” विषय पर विद्वानों ने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार वेद व्यास ने कहा कि राजस्थानी भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए जनचेतना जागृत करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राजनेता जब तक विपक्ष में रहते हैं, भाषा की बात करते हैं, लेकिन सत्ता में आते ही इसे भूल जाते हैं।
मुख्य वक्ता डॉ. गजादान चारण ने कहा कि राजस्थानी भाषा में एकरूपता की कोई समस्या नहीं है। सरकार जिस दिन इसे मान्यता देगी, उसी दिन से लेखन-पठन की दिशा तय हो जाएगी। उन्होंने लेखकों से राजस्थानी के ठेठ शब्दों के प्रयोग पर बल दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत युवा कवि छैलूदान चारण की मायड़ भाषा वंदना से हुई। इस अवसर पर लक्ष्मणदान कविया को महाराणा प्रताप राजस्थानी साहित्य सृजन पुरस्कार, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत को पं. मुखराम सिखवाल स्मृति राजस्थानी पुरस्कार, किरण राजपुरोहित ‘नितिला’ को सूर्यप्रकाश बिस्सा स्मृति पुरस्कार और विमला नागला को कला डूंगर कल्याणी स्मृति राजस्थानी बाल साहित्य सम्मान प्रदान किया गया।

कार्यक्रम में श्याम महर्षि ने मरूभूमि शोध संस्थान के कार्यों की सराहना की। डॉ. मदन सैनी ने कहा कि राजस्थानी की विभिन्न बोलियां इसकी समृद्धि का प्रतीक हैं और लेखकों को मानकीकरण के लिए एकजुट होकर कार्य करना चाहिए।

इस अवसर पर विमला नागला की पुस्तक “बातां री मुळक”, किरण राजपुरोहित के लघुकथा संग्रह “आंख्यांळा आंधा” और श्रीभगवान सैनी के कहानी संग्रह “निरदोख उणियारो” का लोकार्पण किया गया।
वरिष्ठ कवि लक्ष्मणदान कविया ने कहा कि सच्चा साहित्यकार वही होता है जो निष्काम भाव से साहित्य साधना करे। कार्यक्रम में रामचंद्र राठी, सत्य नारायण योगी, सत्यदीप, बजरंग शर्मा, भंवर भोजक, विमल भाटी, राकेश किराड़ू, विनोद सिखवाल, प्रशांत बिस्सा, डॉ. के. सी. सोनी, मनमोहन कल्याणी, डॉ. चेतन स्वामी, डॉ. भंवर भादानी सहित कई साहित्यकार एवं विद्वान उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संयोजन युवा कवयित्री मोनिका गौड़ ने किया।