NEXT 4 नवम्बर, 2025 श्रीडूंगरगढ़। श्रीडूंगरगढ़ के मोमासर में जन्मे और पले-बढ़े देशभर में कला जगत में अपनी अलग पहचान बनाने वाले महान चित्रकार बजरंग लाल सुथार का आज सुबह निधन हो गया। उनके निधन की खबर से पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई।

बजरंग लाल सुथार का जीवन संघर्ष और जज़्बे की मिसाल रहा। शादी के कुछ साल बाद उन्हें लकवा हो गया, फिर उनकी धर्मपत्नी भी उन्हें छोड़कर चली गईं। शरीर का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा काम करना बंद कर चुका था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

उन्होंने मन में ठान लिया कि वे सिर्फ तीन उंगलियों से चित्रांकन करेंगे और वही उनके जीवन की पहचान बन गया। इन तीन उंगलियों से बनाए उनके चित्र न केवल भावनाओं को जीवंत करते थे, बल्कि इंसान की जिजीविषा का प्रतीक भी बन गए।
उनकी इस अद्भुत कला और जज्बे को देशभर में सराहा गया। उन्हें मिला-
- एबिलिटी फाउंडेशन का राष्ट्रीय पुरस्कार,
- हस्तकला मंत्रालय की ओर से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा सम्मान,
- जयपुर महाराज द्वारा सिटी पैलेस अवॉर्ड,
- जोधपुर में दिव्यांग गौरव अवॉर्ड,
- केविन केयर एबिलिटी अवॉर्ड
सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान।
इतना ही नहीं, पाकिस्तान की एक युवती ने उनकी पेंटिंग्स की कनाडा में प्रदर्शनी लगाई, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनके नाम को चमका दिया।
बजरंग लाल सुथार ने साबित किया कि अगर हौसला बुलंद हो तो शरीर की सीमाएँ भी रचनात्मकता के आगे झुक जाती हैं। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनकर रहेगा।


















