सोशल मीडिया बैन ने भड़काई गुस्सी हुई जेन-जी, नेपाल के इतिहास में पहली बार संसद भवन में घुसपैठ
NEXT 8 सितम्बर, 2025 श्रीडूंगरगढ़। नेपाल में सोशल मीडिया बैन और सरकार के खिलाफ गुस्से ने बड़ा रूप ले लिया है। सोमवार को हजारों की संख्या में युवा काठमांडू की सड़कों पर उतर आए। ये सभी 18 से 30 साल के जेन-जी प्रदर्शनकारी थे, जिन्होंने संसद भवन घेरने की कोशिश की। हालात बिगड़ने पर पुलिस ने आंसू गैस, वाटर कैनन और रबर बुलेट दागे।

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, प्रदर्शन के दौरान 10 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जबकि 50 से ज्यादा घायल हैं। हालांकि, सरकारी टीवी ने सिर्फ 1 मौत की पुष्टि की है।
संसद पर धावा: नेपाल के इतिहास में पहली बार
सुबह करीब 12 हजार से ज्यादा प्रदर्शनकारी संसद परिसर की ओर बढ़े। गेट नंबर-1 और 2 पर युवाओं ने कब्जा कर लिया। यह नेपाल के इतिहास में पहली बार है जब प्रदर्शनकारियों ने संसद में घुसने की कोशिश की।

स्थिति बिगड़ने पर सुरक्षा बलों ने कई राउंड फायरिंग की। प्रशासन ने संसद भवन, राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति आवास और पीएम हाउस के आसपास कर्फ्यू लगा दिया। आदेश दिया गया है कि जो भी तोड़फोड़ करेगा, उसे देखते ही गोली मार दी जाएगी।

क्यों भड़के युवा?
नेपाल सरकार ने 3 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, X समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाया। मंत्रालय का कहना था कि इन कंपनियों ने नेपाल में पंजीकरण नहीं कराया था। युवाओं को यह फैसला पसंद नहीं आया और उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

सेलिब्रिटीज भी उतरे मैदान में
नेपाल के दिग्गज एक्टर मदन कृष्ण श्रेष्ठ और हरि बंश आचार्य ने युवाओं का समर्थन किया।
- आचार्य ने कहा कि “युवा सिर्फ सोचते नहीं, सवाल पूछते हैं। भ्रष्ट नेताओं से सवाल करना गलत नहीं।”
- श्रेष्ठ ने कहा कि “मैंने नेपाल के हर दौर को देखा है। सत्ता की लालसा और भाई-भतीजावाद ने देश को खोखला कर दिया। अब युवाओं की आवाज दबाई नहीं जा सकती।”
माहौल और बिगड़ सकता है
विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया बैन सरकार के लिए उल्टा पड़ गया है। जिस प्लेटफॉर्म को सरकार रोकना चाहती थी, वहीं से आंदोलन को हवा मिली। अगर सरकार और प्रदर्शनकारी पीछे नहीं हटे, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।

