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सामाजिक चेतना: न्यायालय के दखल से रुका बाल विवाह, अभिभावकों को किया गया पाबंद

By Next Team Writer

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NEXT 8 अप्रैल, 2025। बाल विवाह एक कानूनी अपराध है और इसे अंजाम देना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसा ही एक मामला श्रीडूंगरगढ़ न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत हुआ, जिसमें न्यायालय ने नाबालिगों के हित में हस्तक्षेप करते हुए प्रस्तावित विवाह को रोकने के निर्देश दिए और अभिभावकों को पाबंद किया।

वरिष्ठ अधिवक्ता मोहनलाल सोनी की सहयोगी एडवोकेट दीपिका करनाणी ने जानकारी दी कि श्रीडूंगरगढ़ के आडसर बास निवासी महबूब चुनगर के दो नाबालिग पुत्र समीर और साहिल का निकाह सरदारशहर निवासी राजू चुनगर की दो नाबालिग पुत्रियों मुस्कान और रसीदा के साथ 9 अप्रैल 2025 को प्रस्तावित था। इस संबंध में महबूब की पत्नी जुबैदा ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल कर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 13 के तहत विवाह को रुकवाने की गुहार लगाई।

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हर्ष कुमार ने पक्षकारों की सुनवाई के बाद आदेश पारित करते हुए उक्त निकाह पर निषेधाज्ञा जारी की। साथ ही आदेश की प्रतिलिपि श्रीडूंगरगढ़ और सरदारशहर के थानाधिकारियों को भेजी गई, जिससे बालिकाओं के पिता राजू चुनगर को अपनी नाबालिग पुत्रियों का विवाह रोकने हेतु पाबंद किया गया।

विशेष उल्लेखनीय यह है कि नाबालिग पुत्रों का विवाह रुकवाने की पहल उनकी माता जुबैदा द्वारा की गई, जिससे यह संदेश जाता है कि सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध कानूनी चेतना अब आम जन तक पहुंच रही है।

Next Team Writer

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