
महिला के ससुराल पक्ष के व्यक्ति महिला के साथ शारीरिक और मानसिक दुर्व्यवहार करते हैं तथा उस महिला को नाजायज रुप से तंग और परेशान करते हैं तो इस संबंध में पीड़ित महिला दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध थाना में एफआईआर दर्ज करवा सकती है। भारतीय न्याय संहिता- 2023 की धारा 85 के अंतर्गत दोषी व्यक्तियों को 3वर्ष का कारावास और जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान है।
अगर कोई पुरूष किसी महिला के साथ अश्लील हरकत करता है, उसकी मान मर्यादा भंग करता है या करने का प्रयास करता है या गलत इशारा करता है या गलत इरादे से महिला का पीछा करता है तो उस व्यक्ति के विरुद्ध धारा 74 से 78 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करवाई जा सकती है। न्यायालय दोषी व्यक्ति को 3वर्ष के कारावास और जुर्माने से दण्डित कर सकता है।
अगर कोई भी व्यक्ति या पीड़ित महिला का रिश्तेदार या अभिभावक या भरोसेमंद व्यक्ति के द्वारा किसी महिला के साथ बलात्कार किया जाता है तो धारा 64 से 71 के अन्तर्गत एफआईआर दर्ज करवाई जा सकती है। न्यायालय द्वारा दोषी व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है।
धारा 9 हिन्दू मैरिज एक्ट : दाम्पत्य जीवन का पुनः निर्वाह करने के लिए। अगर कोई पति अपनी पत्नी का परित्याग करके रखा है। और वह पति अपने दाम्पत्य जीवन का निर्वाह नहीं कर रहा है तो वह महिला उस पुरूष के विरुद्ध याचिका न्यायालय में दे सकती है। न्यायालय द्वारा उस पति को पत्नी के साथ रहने के लिए बाध्य किया जा सकता है।
धारा 144 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अंतर्गत कोई व्यक्ति अपनी पत्नी का भरण पोषण नहीं करता है महिला धारा 144 के तहत पति के विरुद्ध न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर सकती है। न्यायालय उस पर संज्ञान लेने के बाद महिला को भरण पोषण दिलवा सकता है। पति द्वारा न्यायालय के आदेश की अवमानना करने पर उसे जेल भी भेजा जा सकता है।
धारा 13 हिन्दू मैरिज एक्ट: अगर किसी महिला के साथ उसके पति के द्वारा अत्याचार किया जाता है तो वह महिला विवाह विच्छेद (तलाक) की याचिका सक्षम न्यायालय में पेश कर सकती है और न्यायालय दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत न्यायालय तलाक की डिक्री भी पारित कर सकता है। तलाक की याचिका के लम्बित रहने के दौरान पत्नी को धारा 24 हिन्दू मैरिज एक्ट के अंतर्गत भरण पोषण व खर्चों की अदायगी का आदेश भी जारी कर सकता है।