NEXT 1 अप्रैल, 2025। राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि किसी भी कर्मचारी के सर्विस पीरियड में रविवार और सवेतन छुट्टियों (लीव विद पे) को शामिल किया जाएगा। हाईकोर्ट ने इस फैसले के साथ ही लेबर कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया।
क्या है मामला?
बैंक ऑफ बड़ौदा में दैनिक वेतनभोगी के रूप में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी लालचंद जिंदल को बैंक ने अंतिम कार्य वर्ष में केवल 227 कार्य दिवस पूरे करने का हवाला देते हुए नौकरी से निकाल दिया था। नियमों के अनुसार, कर्मचारियों के लिए 240 दिन की सेवा आवश्यक होती है। इस फैसले के खिलाफ उन्होंने लेबर कोर्ट में अपील की, लेकिन वहां भी उनके खिलाफ निर्णय आया।
हाईकोर्ट का फैसला
जस्टिस अनूप ढंड की अदालत में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेश कश्यप ने दलील दी कि सेवा अवधि की गणना में रविवार और सवेतन अवकाश को शामिल नहीं किया गया, जो कि औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 25-बी (2) और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है। हाईकोर्ट ने इसे मान्य करते हुए लेबर कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया और मामला पुनः विचार के लिए लेबर कोर्ट को भेज दिया।
एक साल में निपटाएं मामला
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि लेबर कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर एक साल के भीतर निर्णय दे। इसके साथ ही दोनों पक्षों को 17 अप्रैल से पहले लेबर कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला
अदालत ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेश का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी कर्मचारी की निरंतर सेवा की गणना में रविवार और अन्य सवेतन छुट्टियों को शामिल किया जाना चाहिए।