राजलदेसर की 74 वर्षीय महिला का नेत्रदान, परिवार ने दिखाई अद्भुत संवेदनशीलता
NEXT 21 जुलाई, 2025 श्रीडूंगरगढ़। “मरणोपरांत भी कोई आंखों से देख सके, इससे बड़ा पुण्य क्या हो सकता है।” इसी भावना के साथ राजलदेसर निवासी सुशीला देवी चौरडिया (उम्र 74 वर्ष) ने मृत्यु के बाद नेत्रदान कर समाज के लिए एक प्रेरणास्पद उदाहरण प्रस्तुत किया है।
स्वर्गीय सुशीला देवी चौरडिया, पत्नी बाबूलाल चौरडिया, का रविवार रात्रि (20 जुलाई) को निधन हो गया। निधन के तुरंत बाद उनके परिजनों ने प्रेरणा से प्रेरित होकर नेत्रदान की सहमति दी।
इस पुनीत कार्य में अभयराज चिण्डालिया, दिल्ली व मनीष नौलखा (पूर्व अध्यक्ष, तेयुप श्रीडूंगरगढ़) की प्रेरणा उल्लेखनीय रही। परिवार की ओर से प्रमोद चौरडिया (पुत्र) व बाबूलाल चौरडिया (पति) ने सहमति दी।
तेरापंथ युवक परिषद राजलदेसर के अध्यक्ष मुकेश श्रीमाल और मनीष नौलखा के समन्वय से प्राणनाथ हॉस्पिटल सरदारशहर की आई बैंक टीम रात्रि में सक्रिय हुई और रात 12 बजे नेत्र संकलन की प्रक्रिया पूरी की गई।
ABTYP के नेत्रदान राज्य प्रभारी रोशन नाहर की देखरेख व डॉक्टरों की टीम की तत्परता से यह कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
“नेत्रदान एक ऐसा महादान है जो मरणोपरांत भी दो लोगों को उजाला देता है। यह समाज के लिए प्रेरणा बनता है।”
—प्राणनाथ हॉस्पिटल टीम से डॉ रविन्द्र
इस नेक पहल से दो जरूरतमंदों को दृष्टि प्राप्त होगी। स्व. सुशीला देवी का यह योगदान समाज को जागरूक करने वाला है।