NEXT 8 अगस्त, 2025 श्रीडूंगरगढ़। रक्षाबंधन सिर्फ एक धागा नहीं, भावनाओं का बंधन है और जब इसे जैन संस्कार विधि से मनाया जाए, तो अध्यात्म भी जुड़ जाता है।
शहर के मालू भवन सेवा केंद्र में शुक्रवार को तेरापंथ युवक परिषद, श्रीडूंगरगढ़ ने जैन विधि से रक्षाबंधन मनाने की कार्यशाला आयोजित की। कार्यक्रम साध्वी संगीतश्री और साध्वी डॉ. परमप्रभा के सान्निध्य में संपन्न हुआ।

कार्यशाला में 11 भाई-बहन की जोड़ियों ने मंत्रोच्चार, तिलक और मंगल भावना यंत्र स्थापना के साथ रक्षा सूत्र बांधा। संस्कारकों प्रदीप पुगलिया, प्रमोद बोथरा और चमन श्रीमाल ने जैन संस्कार की विधि से पूरे आयोजन को विधिपूर्वक सम्पन्न कराया।

इन 11 जोड़ियों ने भाग लिया
कमल-सुनीता, विक्रम-अंजू, चमन-भाग्यश्री, राजवीर-गरिमा, युवराज-मन्नत, यश-मिश्का, तन्मय-गुंजन, कौशल-पलक, अरिहंत-दृष्टि, वासु-प्रियंका, यशस्वी-दिव्यांशी।
रक्षा सूत्र के पीछे का अर्थ बताया
कार्यशाला में बताया गया कि जैन परंपरा में रक्षा सूत्र सिर्फ रक्षा का प्रतीक नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, बंधुत्व और मैत्रीभाव का प्रतीक है। बच्चों और युवाओं को इस परंपरा से जोड़ने का प्रयास सराहनीय रहा।
समाजजनों ने की पहल की सराहना
समाज के कई गणमान्य नागरिकों ने उपस्थित होकर कार्यशाला को देखा और कहा कि ऐसी पहलें नई पीढ़ी को भारतीय और जैन संस्कृति से जोड़ने का सशक्त माध्यम हैं। कई ने यह संकल्प भी लिया कि वे इस बार रक्षाबंधन को इसी विधि से घर-घर मनाएंगे।
परिषद के उपाध्यक्ष रजत सिंघी ने सभी प्रतिभागियों को परिषद की ओर से शुभकामनाएं दीं और संस्कारकों का आभार व्यक्त किया। आयोजन को सफल बनाने में हरीश डागा, सुनीता डागा और जितेंद्र बैद का विशेष सहयोग रहा।