NEXT 27 अगस्त, 2025 श्रीडूंगरगढ़। तेरापंथ भवन मोमासर में पर्यूषण पर्व का मुख्य कार्यक्रम आचार्य महाश्रमण की शिष्या साध्वी प्रमिला कुमारी के सान्निध्य में हुआ। साध्वी ने प्रवचन में कहा कि “संवत्सरी का अर्थ है क्षमा दिवस। इस दिन हम मन, वचन और काया से हुई किसी भी भूल या हानि के लिए सभी जीवों से क्षमा याचना करते हैं।”

उन्होंने कहा कि संवत्सरी गहन पश्चाताप और आत्म-शुद्धि का प्रतीक है, जो आत्मचिंतन और आंतरिक शांति की ओर ले जाता है। इसे विश्व मैत्री दिवस भी कहा जाता है। यह पर्व भगवान महावीर के सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म और जियो और जीने दो की राह दिखाता है तथा मोक्ष के द्वार खोलता है।
साध्वी ने बताया कि साधु-साध्वियों के लिए पर्यूषण का अर्थ है आत्मा द्वारा आत्मा को देखना, जिसमें प्रतिक्रमण, केशलोच, तपश्चर्या और क्षमायाचना शामिल हैं। वहीं गृहस्थ जनों के लिए शास्त्र श्रवण, तप, अभयदान, सुपात्रदान, ब्रह्मचर्य और क्षमायाचना का विशेष महत्व है।

इस अवसर पर साध्वी आस्थाश्री, साध्वी विज्ञप्रभा और साध्वी तेजसप्रभा ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में तेरापंथी सभा मोमासर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अशोक पटावरी, अणुव्रत समिति की अध्यक्षा सुमन बाफना, मंत्री राकेश संचेती, महिला मंडल अध्यक्ष कंचन पटावरी, आडसर से अशोक कुमार बरडिया सहित बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहीं।