जैन भवन आडसर में मुमुक्षु मोहक बेताला के अभिनंदन समारोह में दी प्रेरणादायक सीख
3 सितंबर को अहमदाबाद में दीक्षा लेंगे मोहक, परिवार में पहले से हैं कई दीक्षित साधु-साध्वी
NEXT 19 जून, 2025। “जो मन को अपनी मुट्ठी में रखता है, वही सबसे सफल व्यक्ति होता है।” यह बात आचार्य महाश्रमण की शिष्या साध्वी प्रमिलाकुमारी ने जैन भवन आडसर में आयोजित मुमुक्षु मोहक बेताला के अभिनंदन समारोह के दौरान कही। उन्होंने कहा कि दीक्षा केवल वस्त्र परिवर्तन नहीं, यह आत्मविजय की साधना है। मन को साधने वाला ही असली साधक होता है।

साध्वी ने मुमुक्षु मोहक को पंचामृत स्वरूप पाँच निष्ठाएं- आत्मनिष्ठा, सत्य निष्ठा, गुरु निष्ठा, संघ निष्ठा और मर्यादा निष्ठा की सीख दी। उन्होंने कहा कि ये पाँच तत्व मुनि जीवन की आधारशिला हैं और सकारात्मक चिंतन के साथ यदि इनका पालन किया जाए तो साधु जीवन सफल हो जाता है।

कार्यक्रम की शुरुआत साध्वीवृन्द के मंगलाचरण से हुई। इसके बाद मुमुक्षु की बहन झलक ने उनका जीवन परिचय प्रस्तुत किया। 18 वर्षीय मोहक बेताला ने वर्ष 2018 में मुख्य मुनि की प्रेरणा से बैराग्य लिया। वे 10वीं कक्षा उत्तीर्ण हैं। उन्हें 4 फरवरी 2025 को आचार्य महाश्रमण से दीक्षा का आदेश मिला था। अब आगामी 3 सितंबर 2025 को अहमदाबाद (कोबा) में उन्हें मुनि दीक्षा प्रदान की जाएगी।

कार्यक्रम में कन्या मंडल, महिला मंडल आडसर, अणुव्रत समिति मोमासर के मंत्री राकेश संचेती, अशोक बरडिया, मुमुक्षु के पिता विवेक बेताला, माता विज्ञा बेताला, अशोक सिंघी (अध्यक्ष, युवक परिषद, गांधीनगर) सहित कई गणमान्यजन मौजूद रहे।

मोहक का परिवार पहले से ही धर्मसंघ से जुड़ा रहा है। उनके पूर्वज मुनि सोहनलाल, साध्वी पंकजश्री, साध्वी शांतिप्रभा, साध्वी लोकप्रभा, मुनि विमलबिहारी, मुनि विनोदकुमार, साध्वी मौलिकयशा, साध्वी रोहितप्रभा, साध्वी विज्ञप्रभा, मुनि नम्रकुमार, समणी स्वाति प्रज्ञा जैसे अनेक साधु-साध्वी के रूप में दीक्षित हो चुके हैं।
समारोह का सफल संचालन साध्वी विज्ञप्रभा ने किया। कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति रही और वातावरण धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत हो गया।