NEXT 10 मई, 2025 श्रीडूंगरगढ़। कस्बे के कालूबास क्षेत्र में 2010 में सामने आए आत्मदाह प्रकरण में शुक्रवार को एडीजे कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाया। कोर्ट ने 15 साल पुराने इस चर्चित मामले में सास सीता देवी और पति अनिल कुमार को सभी आरोपों से बरी कर दिया।
एडवोकेट दीपिका करनाणी ने बताया कि यह मामला मार्च 2010 में सामने आया था, जब कालूबास निवासी झूमा देवी (पत्नी अनिल कुमार, कालुबास पुत्री सरदारशहर निवासी शम्भूदयाल सोनी) ने खुद को आग लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। मामले में पति, सास और ससुर के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज किया गया था।
केरोसिन डालकर खुद को लगाई थी आग
मामले में मृतका झूमा देवी ने पुलिस को दिए पर्चा बयान में बताया था कि उसे उसकी सास ताने देती थी और ससुर ने व्यंग्यात्मक रूप से कहा कि आंगन में आ, मैं केरोसिन डाल देता हूं। इसके बाद झूमा ने खुद पर केरोसिन डालकर आग लगा ली थी। मजिस्ट्रेट के समक्ष अस्पताल में दर्ज बयान में भी झूमा ने कहा था कि ससुर ने आधी बोतल केरोसिन उसके ऊपर डाला और उसने तीली लगाकर आग लगा ली। इस बयान के आधार पर तीनों अभियुक्तों के खिलाफ श्रीडूंगरगढ़ थाने में धारा 498A के अंतर्गत एफआईआर दर्ज हो गयी।
मौत के बाद धारा 306 जोड़ी गई
इलाज के दौरान झूमा देवी की मौत बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में हो गई थी। इसके बाद पुलिस ने धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) जोड़ी और पति अनिल कुमार, सास सीता देवी व ससुर सत्यनारायण के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया।
22 गवाहों के बयान, ससुर की हो चुकी है मृत्यु
अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में मृतका के पीहर पक्ष समेत कुल 22 गवाहों के बयान दर्ज करवाए। सुनवाई के दौरान ससुर सत्यनारायण का निधन हो गया, जिससे उनके खिलाफ कार्यवाही समाप्त कर दी गई। सास और पति के खिलाफ मामला जारी रहा।
न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में किया दोषमुक्त
एडीजे कोर्ट की न्यायाधीश सरिता नौशाद ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद और उपलब्ध साक्ष्यों का विश्लेषण करते हुए दोनों अभियुक्तों को दोषमुक्त करार दिया।
अभियुक्तों की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता मोहनलाल सोनी और सहयोगी एडवोकेट दीपिका करनाणी ने की।