आज आपको किरायेदारी कानून के संबंध में श्रीडूंगरगढ़ में लागू कानून के सम्बंध में बताया जा रहा है।
किरायेदारी और मालिकों के सम्बंध में राजस्थान रेंट कंट्रोल एक्ट बना हुआ है। परन्तु श्रीडूंगरगढ़ में अभी तक उस एक्ट को लागू नहीं किया गया है। इसलिए वर्तमान में कोई अगर मालिक किसी किरायेदार को बेदखल करना चाहता है तो उसके लिए धारा 106 ट्रांसफर ऑफ प्रोपर्टी एक्ट के अंतर्गत प्रावधान किया गया है।
धारा 106 क्या है?
अगर, मालिक और किरायेदार के मध्य किसी प्रकार का लिखित में कोई करार नहीं है और वह परिसर/ भूखण्ड किसी मैन्युफैक्चरिंग या एग्रीकल्चर उद्देश्य के लिए किराये पर दिया हुआ है, तो यह माना जायेगा कि वह किरायेदारी सालाना है।
और यदि वह परिसर आवासीय या कमर्शियल उद्देश्य के लिए दिया गया है तो यह माना जायेगा कि वह किरायेदारी मासिक है।
नोटिस: 6महीने और 15दिनों का प्रावधान
जहाँ किरायेदारी मैन्युफैक्चरिंग/एग्रीकल्चर से संबंधित है, तो वहाँ सालाना किरायेदारी है और वहाँ किरायेदारी समाप्त करने के लिए कम से कम 6 माह की अवधि का नोटिस किरायेदार को देना आवश्यक होगा।
अगर किराये पर आवासीय/ कमर्शियल उद्देश्य के लिए भूखण्ड दिया गया है तो कम से कम 15दिनों का नोटिस दिया जाएगा।
एग्रीकल्चर/मैन्युफैक्चरिंग के संदर्भ नोटिस प्राप्त होने के बाद 6 महीने के बाद वह किरायेदार नहीं माना जायेगा। इसी प्रकार आवासीय/ कमर्शियल के संदर्भ में नोटिस प्राप्त होने के 15दिनों बाद किरायेदार नहीं माना जायेगा।
बेदखली और जुर्माने का प्रावधान
नोटिस रजिस्टर्ड डाक/by hand दिया जा सकता है। और उसके परिवार के किसी बालिग पुरुष सदस्य को भी दिया जा सकता है।
नोटिस देने के बाद जो समय नोटिस में दिया गया है। उसकी अवधि समाप्त होने के बाद वह किरायेदार उस परिसर का किरायेदार नहीं माना जाता है। उसके बाद भी वह कब्जा मालिक को नहीं सौंपता है तो मालिक उस व्यक्ति के विरुद्ध बेदखली का दावा प्रस्तुत करेगा और किराये के रूप में हर्जाना भरने का दावा भी पेश कर सकता है।
न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों को सुना जाएगा। और किरायेदार के विरुद्ध कानून सम्मत तरीके से बेदखल करने और जुर्माना भरने का आदेश वादी के पक्ष में डिक्री कर सकता है।
आखिर क्या कहता है श्रीडूंगरगढ़ का किरायेदारी कानून, पढ़े और जाने…अधिवक्ता दीपिका करनाणी से

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