NEXT 27 जुलाई, 2025 श्रीडूंगरगढ़। राजस्थानी भाषा और साहित्य को जीवन का उद्देश्य मान चुके वरिष्ठ साहित्यकार और आंदोलनकारी मनोज स्वामी को उनके समर्पित योगदान के लिए राजस्थानी साहित्य भूषण सम्मान से नवाजा जाएगा। यह सम्मान गुणीजन सम्मान समारोह समिति, श्रीडूंगरगढ़ की ओर से आगामी अगस्त माह में आयोजित होने वाले समारोह में प्रदान किया जाएगा।
पहली बार राजस्थानी में रामलीला मंचन कर रच दिया इतिहास
डाॅ. चेतन स्वामी ने बताया कि मनोज स्वामी पिछले 40 वर्षों से राजस्थानी भाषा और संस्कृति की सेवा में जुटे हैं। उन्होंने सबसे पहले राजस्थानी भाषा में रामलीला का मंचन प्रारंभ किया, जो अब क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है। वे स्वतंत्र पत्रकारिता के माध्यम से भी लगातार राजस्थानी सरोकारों की आवाज उठाते रहे हैं।
एक लाख रुपये नकद, शाॅल, श्रीफल और सम्मान पत्र मिलेगा
संस्थाध्यक्ष लाॅयन महावीर माली ने बताया कि सम्मान के तहत स्वामी को ₹1 लाख की नकद राशि, शाॅल, श्रीफल और सम्मान पत्रक प्रदान किया जाएगा। यह सम्मान समारोह सांस्कृतिक गरिमा और राजस्थानी अस्मिता के प्रतीक रूप में आयोजित किया जाएगा।
सम्मान की तिथि जल्द घोषित होगी
समिति के पदाधिकारी विजय महर्षि ने बताया कि आयोजन की तिथि जल्द घोषित की जाएगी। समारोह में क्षेत्र के अनेक साहित्यकार, पत्रकार और सांस्कृतिक कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे।
राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के आंदोलन से भी जुड़े रहे हैं स्वामी
मनोज स्वामी ना केवल साहित्य सृजन में बल्कि राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। उनका यह सम्मान पूरे राजस्थानी भाषा प्रेमियों के लिए गर्व का क्षण है।