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ट्रॉमा सेंटर दे रहा ट्रॉमा: जनता के स्वास्थ्य पर राजनीति, वादों का जंजाल और सोशल मीडिया की नौटंकी, राज्य सरकार बनायेगी ट्रॉमा सेंटर? देखें सभी पत्र

By Next Team Writer

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श्रीडूंगरगढ़ में ट्रॉमा सेंटर और उपजिला अस्पताल को लेकर जो घटनाक्रम चल रहा है, वह किसी राजनीतिक धारावाहिक से कम नहीं। जनता बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की उम्मीद में बैठी है, लेकिन असल में उसे क्या मिल रहा है? जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का सपना दिखाया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि यह सपना अभी तक कागज़ों में ही उलझा हुआ है।
कभी सोशल मीडिया पर जोशीले बयान वायरल होते हैं, कभी धरने-प्रदर्शन की तस्वीरें चमकाई जाती हैं, और कभी भामाशाह के सहमति पत्रों का खेल रचा जाता है। तो कभी विधायक महोदय के अथक प्रयासों के कसीदे पढ़े जाते हैं। मगर इन सबके बीच एक सवाल जस का तस बना हुआ है—आखिर अस्पताल की इमारत कब खड़ी होगी?

भामाशाह की मौखिक सहमति बनाम सरकारी धैर्य की परीक्षा
7 फरवरी, 2025 को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. रोमेल सिंह, बीकानेर से संयुक्त निदेशक, सीएमएचओ, बीसीएमओ, पीएमओ, स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों और भामाशाह प्रतिनिधियों के बीच बैठक हुई। इस बैठक में भामाशाह के प्रतिनिधि ने मौखिक रूप से नव चिकित्सालय भवन निर्माण के लिए स्वीकृति दी, लेकिन लिखित में देने के लिए दो दिन का समय मांगा।
अब यहाँ असली सवाल खड़ा होता है कि जब भामाशाह के प्रतिनिधि ने बैठक में वादा किया था, तो उसके बाद लिखित सहमति पत्र क्यों नहीं दिया? दो दिन का समय मांगने वाले अब 21 फरवरी तक क्यों खामोश रहे? उनके द्वारा नामित आर्किटेक्ट ने “संशोधित नक्शा” प्रस्तुत करने की बात कही, लेकिन वह नक्शा भी अब तक विभाग को नहीं सौंपा गया। हालांकि इस बारे में भामाशाह प्रतिनिधि का यह कहना है कि हमने सहमति लिखित में दे दी है और नक्शा भी दे दिया जाएगा। नक्शा विभाग भी तैयार करके दे सकता है। और लेटलतीफी कोई बड़ी खामी नहीं है।

सोशल मीडिया पर झूठी वाहवाही, जनता में भ्रमजाल
सरकारी अधिकारी और चिकित्सा विभाग साफ-सुथरे जवाब के इंतजार में थे, लेकिन जब भामाशाह का कोई जवाब नहीं आया, तो उन्होंने सरकारी बजट से ट्रॉमा सेंटर और उपजिला अस्पताल निर्माण के लिए उच्च अधिकारियों को पत्र भेज दिया। अब यहीं से असली तमाशा शुरू हुआ।
जैसे ही यह खबर कुछ लोगों को लगी, अचानक सोशल मीडिया पर भामाशाह का एक सहमति पत्र वायरल कर दिया गया। 10 दिन तक चुप रहने वाले लोग अचानक सक्रिय क्यों हो गए? जब जवाब देने का सही समय था, तब ये चुप क्यों थे? क्या यह जनता को भ्रमित करने की कोशिश थी, ताकि सरकारी प्रयास को कटघरे में खड़ा किया जा सके?
यह घटना साबित करती है कि सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली हर खबर सही नहीं होती। जनता के साथ छल करने का यह नया तरीका बन गया है—पहले वादे करो, फिर चुप रहो, और जब सरकार अपनी तरफ से कदम उठाए, तो सोशल मीडिया पर खुद को “मसीहा” साबित करने के लिए नए कागज़ात पेश कर दो।

जनता अब यह जानना चाहती है कि
जब जवाब देने का सही समय था, तब उन्होंने कोई दस्तावेज क्यों नहीं सौंपा?
अब जब सरकार द्वारा अपने संसाधनों से अस्पताल बनवाने की मांग की गई, तो यह “सहमति पत्र” सोशल मीडिया पर क्यों जारी किया गया?
उस बारे में जब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से वार्ता हुई तो उनके द्वारा यह बताया गया कि उन्हें वायरल पत्र व्हाट्सअप के द्वारा शाम को मिला। और भामाशाह ने अभी तक नक्शा उपलब्ध नहीं करवाया है। अगर, भामाशाह द्वारा नक्शा उपलब्ध करवा दिया जाता है तो राज्य सरकार के स्तर पर परीक्षण करवाकर अनुमोदन पश्चात आगे एमओयू की कार्यवाही की जाएगी।

जनता के स्वास्थ्य पर राजनीति, किसका असली एजेंडा?
श्रीडूंगरगढ़ के विधायक ताराचंद सारस्वत का कहना है कि ट्रॉमा सेंटर और उपजिला अस्पताल को लेकर सरकारी स्तर पर हर संभव प्रयास किए हैं और हर सूरत में ट्रॉमा सेंटर बनेगा और सरकार द्वारा हर सम्भव सहयोग किया जाएगा। साथ ही सरकारी सहायता की कोई कमी नहीं रहेगी।

लेकिन यहाँ असली सवाल यह नहीं है कि कौन प्रयास कर रहा है, बल्कि यह है कि अस्पताल कब बनेगा?
जनता को यह जानने का हक है कि—

  1. अस्पताल के निर्माण में देरी का असली कारण क्या है?
  2. भामाशाह परिवार वाकई सहयोग करना चाहता था, या फिर यह सिर्फ एक दिखावा था?
  3. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पत्रों के पीछे की मंशा क्या है—सच्चाई बताना या भ्रम फैलाना?
  4. क्या वाकई सभी जनप्रतिनिधि इस अस्पताल के लिए प्रयासरत हैं, या फिर सिर्फ राजनीतिक श्रेय लेने की होड़ चल रही है?

श्रीडूंगरगढ़ की जनता अब इस राजनीतिक खेल को समझ चुकी है। उसे वादों की जरूरत नहीं, बल्कि अस्पताल की इमारत खड़ी होते हुए देखने की जरूरत है। अगर इसी तरह राजनीति और नौटंकी चलती रही, तो अस्पताल बनने से पहले ही जनता ट्रॉमा सेंटर के अभाव में असल ट्रॉमा में पहुँच जाएगी।

Next Team Writer

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